Class 10 - हिंदी : क्षितिज - 2
Chapter 14 - एक कहानी यह भी
Top Block 1
प्रश्न : 1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
लेखिका के जीवन पर दो लोगों का विशेष प्रभाव पड़ा।
पिता का प्रभाव – लेखिका के जीवन पर पिताजी का ऐसा प्रभाव पड़ा कि वे हीन भावना से ग्रसित हो गई। इसी के परिमाण स्वरुप उनमें आत्मविश्वास की भी कमी हो गई थी। पिता के द्वारा ही उनमें देश प्रेम की भावना का भी निर्माण हुआ था।
शिक्षिका शीला अग्रवाल का प्रभाव- शीला अग्रवाल की जोशीली बातों ने एक ओर लेखिका के खोए आत्मविश्वास को पुन: लौटाया तो दूसरी ओर देशप्रेम की अंकुरित भावना को उचित माहौल प्रदान किया। जिसके फलस्वरूप लेखिका खुलकर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने लगी।
प्रश्न : 2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?
उत्तर :
‘भटियारखाना’ शब्द भट्टी (चूल्हा) से बना है। यहाँ पर प्रतिभाशाली लोग नहीं जाते हैं लेखिका के पिता का मानना था रसोई के काम में लग जाने के कारण लड़कियों की क्षमता और प्रतिभा नष्ट हो जाती है। वे पकाने-खाने तक ही सीमित रह जाती हैं और अपनी सही प्रतिभा का उपयोग नहीं कर पातीं। सम्भवत: इसलिए लेखिका के पिता ने रसोई को’भटियारखाना’ कहकर संबोधित किया होगा।
प्रश्न : 3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर :
एक बार कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि लेखिका के पिताजी आकर मिलें और बताएँ की लेखिका की गतिविधियों के खिलाफ क्यों न अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। पत्र पढ़कर पिताजी गुस्से से भन्नाते हुए कॉलेज गए। इससे लेखिका बहुत भयभीत हो गई। परन्तु प्रिंसिपल से मिलने तथा असली अपराध के पता चलने पर लेखिका के पिता को अपनी बेटी से कोई शिकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार में परिवर्तन देख लेखिका को न तो अपने आँखों पर भरोसा हुआ और न ही अपने कानों पर विश्वास हुआ।
प्रश्न : 4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
(1) लेखिका के पिताजी लेखिका को समाज और देश के प्रति जागरूक तो बनाना चाहते थे परन्तु एक निश्चित सीमा तक। लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर भाषण देना,हाथ उठाकर नारे लगवाना, लड़कों के साथ सड़कों पर घूमना उन्हें पसंद नहीं था इस बात पर लेखिका और उनके पिता की वैचारिक टकराहट हो जाया करती थी।
(2) यद्दपि उसके पिताजी भी देश की स्थितियों के प्रति जागरूक थे। वे स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी नहीं थे परन्तु वे स्त्रियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीमित रखना चाहते थे। परन्तु लेखिका खुले विचारों की महिला थी। इस बात पर लेखिका की उनसे वैचारिक टकराहट हो जाती थी।
(3) लेखिका के पिता लड़की की शादी जल्दी करने के पक्ष में थे। लेकिन लेखिका जीवन की आकांक्षाओं को पूर्ण करना चाहती थी।
(4) पिताजी का लेखिका की माँ के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। अपनी माँ के प्रति ऐसा व्यवहार लेखिका को उनके पिताजी की ज़्यादती लगती थी।
प्रश्न : 5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
उत्तर :
1942-47 का समय स्वतंत्रता-आन्दोलन का समय था हर एक युवा पूरे जोश-खरोश से इस आन्दोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा था ऐसे में लेखिका मन्नू भंडारी ने भी इस आन्दोलन का अभिन्न हिस्सा बनकर अपनी सक्रिय भूमिका निभाई ।उसने पिता के विरुद्ध सड़कों पर घूम-घूमकर नारेबाजी, हड़तालें, जलसे जुलूस किए। इस आंदोलन में उन्होंने अपने भाषण, उत्साह तथा अपनी संगठन-क्षमता के द्वारा सहयोग प्रदान किया।
• रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न : 6. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारीतक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
अपने समय में लेखिका को खेलने तथा पढ़ने की आज़ादी तो थी लेकिन अपने पिता द्वारा निर्धारित सीमा तक ही। परन्तु आज स्थिति बदल गई है। आज लडकियाँ प्रतिस्पर्धात्मक खेल खेलती हैं जो कि उनके माता पिता, समाज द्वारा प्रोत्साहित होता है और ये खेल पड़ोस खेल संस्कृति (गिल्ली-डंडा,पतंग उड़ाना, कंचे से खेलना आदि) से पूर्णतया भिन्न है।आज महिलाएँ देश तथा अपने माता-पिता दोनों का नाम राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा कर रही है। परन्तु इसके साथ दूसरा पहलू यह भी है की आज भी हमारे देश में कुछ लोग स्त्री स्वतंत्रता के पक्षधर नहीं हैं।
प्रश्न : 7. मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपनेविचार लिखिए।
उत्तर :
पास-पड़ोस मनुष्य की वास्तविक शक्ति होती है। आज घर के स्त्री-पुरुष दोनों ही कामकाज के सिलसिले में ज्यादा से ज्यादा समय घर से बाहर ही रहते हैं इसलिए लोगों के पास समय का अभाव होता जा रहा है। मनुष्य के सम्बन्धों का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है, मनुष्य आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है। यही कारण है कि आज के समाज में ‘पड़ोस कल्चर’लगभग लुप्त होता जा रहा है। मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वो अपने पड़ोसियों से मिलकर बात-चीत करें, उनके सुख-दुःख कों बाँटें, या तीज त्योहार साथ ही मना सकें।
प्रश्न : 8. लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
उत्तर :
मनु भंडारी के द्वारा पढ़े गए कुछ चर्चित उपन्यास इस प्रकार हैं –
(1) सुनीता
(2) शेखर : एक जीवनी
(3) नदी के द्वीप
(4) त्यागपत्र
(5) चित्रलेखा
प्रश्न : 9. आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
उत्तर :
15 सितम्बर 2014
आज हमारी परीक्षा का अंतिम दिन था इसलिए मन सुबह से अति प्रसन्न था। मैं और मेरा छोटा भाई विद्यालय की ओर रोज की भाँति निकल पड़े। आधे रास्ते तक पहुँचे ही थे कि एक कुत्ते के करहाने की आवाज सुनाई पड़ी। हम दोनों उसके पास पहुँचे तो देखा उसके पैर से खून बह रहा था। मेरा मन उसे उस हालत में छोड़ने कतई न हुआ। भाई को मैंने विद्यालय जाकर प्राचार्य से स्तिथि से अवगत करने के लिए कहा तथा उसे मैं फ़ौरन घर ले गया और माँ के हाथों सौप दिया। माँ ने उसकी मरहम-पट्टी की। पिताजी ने जल्दी सेस्कूटर से मुझे विद्यालय पहुँचा दिया और प्राचार्य की अनुमति से मुझे परीक्षा में बैठने दिया गया और अतिरिक्त समय भी दिया गया। उस दिन से वह कुत्ता हमारे घर का सदस्य बन गया।
Mddle block 1
• भाषा-अध्ययन
प्रश्न : 10.1 इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है।रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –
इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी।
उत्तर :
घर देर से पहुँचने पर माताजी ने मेरी लू उतारी।
प्रश्न : 10.2 इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –
वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
उत्तर :
मेरे घर पहुँचने से पहले ही बड़े भैया मेरे खिलाफ़ आग लगा चूके थे।
प्रश्न : 10.3 इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –
बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
उत्तर :
रमेश अपनी करतूतों से बाज आओ ऐसा ना हो कि लोग तुम्हारे कारण हम पर थू-थू करे।
प्रश्न : 10.4 इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –
पत्र पढ़ते ही पिता जी आग बबूला।
उत्तर :
छोटी-सी गलती पर इतना आग बबूला होने की क्या आवश्यकता है।