NCERT Solutions Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ

Class 7 - हिंदी - वसंत II
Chapter 15 : नीलकंठ

NCERT Solutions Class 7 Hindi Vasant Textbook
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NCERT Solutions Class 7 Hindi Vasant Neelkantha नीलकंठ

पृष्ठ संख्या – 116

प्रश्न अभ्यास

निबंध से

1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?

उत्तर :

नीली गर्दन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया और मोरनी सदा मोर की छाया के समान उसके साथ रहती इसलिए उसका नाम राधा रखा गया।

2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?

उत्तर :

जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का उसी तरह स्वागत हुआ जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूम कर गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे, बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठ कर उनका निरीक्षण करने लगे, छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछल कूद मचाने लगे और तोते एक आँख बंद कर के उनका परीक्षण करने लगे।

3. लेखिका को नीलकंठकी कौन-कौनसी चेष्टाएँ बहुतभाती थीं?

उत्तर :

नीलकंठदेखने में बहुतसुंदरथा औरलेखिका को उसकी हरचेष्टाएँ आकर्षकलगती थीं परन्तु कुछ चेष्टाएँ उन्हें बहुतभाती थीं जैसे –
• मेघों की गर्जनतालपरउसका इंद्रधनुषके गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकारबनाकरतन्मयनृत्यकरना।
• लेखिका के हाथों से हौले-हौले चने उठाकरखाते समयउसकी चेष्टाएँ हँसी औरविस्मयउत्पन्नकरती थी।
• नीलकंठका दयालु स्वभावऔरसबकी रक्षा करने की चेष्टा करना।

4. ‘इसआनंदोंत्सवकी रागिनी में बेमेलस्वरकैसे बजउठा’ – वाक्यकिसघटना की ओरसंकेतकररहा है?

उत्तर :

यह वाक्य लेखिका द्वारा कुब्जा मोरनी को लाने की ओर संकेत कर रहा है। कुब्जा मोरनी के आने से पहले नीलकंठ, राधा और अन्य पशु-पक्षी बाड़े में आराम से रह रहे थे जिसे लेखिका ने आनंदोंत्सव की रागिनी कहा है। परन्तु कुब्जा मोरनी के आ जाने से वहाँ अशांति फ़ैलगयी। वह स्वभाव से मेल-मिलाप वाली नथी। ईर्ष्यालु प्रकृति की होने के कारण वह नीलकंठऔर राधा को साथन देख पाती थी। उसने राधा के अंडे भी तोड़ डाले थे। नीलकंठ अप्रसन्न रहने लगा था और अंत में यहउ सकी मृत्यु का कारण बना।

5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जाली घर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

उत्तर :

वसंत में आम के वृक्ष मंजरियों से लदे जाते और अशोक लाल पत्तों से ढक जाता जिसे देखकर नीलकंठ के लिए जालीघर में रहना असहनीय हो जाता। उसे फलों के वृक्षों से भी अधिक सुगन्धितव खिले पत्तों वाले वृक्ष अच्छे लगते थे।

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6. जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?

उत्तर :

कुब्जा का स्वभाव मेल-मिलाप वाला नथा। ईर्ष्यालु होने के कारण वह सबसे झगड़ा करती रहती थी और अपनी चोंच से नीलकंठ के पास जाने वाले हर-एक पक्षी को नोंच डालती थी। वह किसी को भी नीलकंठ के पास आने नहीं देती थी यहाँ तक की उसने इसी ईर्ष्यावश राधा के अंडें भी तोड़ दिए थे। इसी कारण वह किसी की मित्र न बन सकी।

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7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :

एक बार एक साँप पशुओं के जाली के भीतर पहुँच गया। सब जीव-जंतु इधर-उधर भाग कर छिपगए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। निगलने के प्रयास में साँपने उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे – धीरे चीं-चीं कर रहा था परन्तु आवाज़ इतना तीव्र नही था की किसी को स्पष्ट सुनाई दे। सोये हुए नीलकंठ ने जब यह मंदस्वर सुना तो वह झट से अपने पंखों को समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। उसने सावधानी से साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँपसे बचाया।
इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं निम्नलिखित हैं –
• सतर्कता – जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश की मंद पुकार सुन कर यह शक हो गया कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा।
• साहसी और वीर – अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चों को बचाया और साँप के दो खंड कर दिया जिससे उसके साहस और वीरता का पता चलता है।
• रक्षक – खरगोश को मौत के मुँह से बचा कर नीलकंठ ने यह सिद्ध कर दिया कि वह रक्षक है ।
• दयालु – वह खरगोश के बच्चे को सारी रात अपने पंखों में छिपाकर ऊष्मा देता रहा जिससे उसके दयालु होने का पता चलता है।

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भाषा की बात

1. ‘रूप’ शब्दसे ‘कुरूप’, ‘स्वरूप’, ‘बहुरूप’ आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ –
गंध, रंग, फल, ज्ञान

उत्तर :

गंध – सुगंध, दुर्गन्ध, गंधक, गंधहीन।
रंग – बदरंग, बेरंग, रंगबिरंगा।
फल – सफल, निष्फल, असफल, विफल।
ज्ञान – विज्ञान, अज्ञान, सद्ज्ञान।

2. नीचे दिए गए शब्दों के संधि विग्रह कीजिए

संधिविग्रह
1. नील + आभ =A. सिंहासन =
2. नव + आगंतुक =B. मेघाच्छन्न =

 

उत्तर :

संधिविग्रह
1. नील + आभ = नीलाभA. सिंहासन = सिंह + आसन
2. नव + आगंतुक = नवागंतुकB. मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न
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