Class 7 - हिंदी - वसंत II
Chapter 3 : दादी माँ

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NCERT Solutions Class 7 Hindi Katputali Chapter 4 कठपुतली
पृष्ठ संख्या : 15
प्रश्न अभ्यास
लेख से
1. नदियों को माँ मानने की परम्परा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर :
नदियों को माँ मानने की परम्परा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें बेटियों, प्रेयसी व बहन के रूपों में भी देखते हैं।
2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गयी हैं ?
उत्तर :
सिंधु और ब्रह्मपुत्र दोनों महानदियाँ हैं जिनमें सारी नदियों का संगम होता है। ये दो ऐसी नदियाँ हैं जो दयालु हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक बूँद से निर्मित हुई हैं । इनका रूप इतना लुभावना है कि सौभाग्यशाली समुद्र भी पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ थामने पर गर्व महसूस करता है। इनका रूप विशाल और विराट है।
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3. काका कालेलकर ने नदियों को लोक माता क्यों कहा है ?
उत्तर :
काका कालेलकर ने नदियों को लोक माता इसलिए कहा है क्योंकि ये युगों से एक माँ की तरह हमारा भरण-पोषण करती रही है। ये हमें पीने को जल तथा मिट्टी को उपजाऊबनाने में सहायक होती हैं। जिस तरह माता तमाम कष्ट सहने के बावजूद अपने पुत्रों का भला चाहती हैं उसी तरह नदियाँ भी मानव द्वारा दूषित किये जाने के बावजूद जगत का कल्याण करती हैं।
4. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर :
हिमालय की यात्रा में लेखक ने इसके अनुपम छटा की, इनसे निकलने वाली नदियों की अठखेलियों की, बर्फ से ढँकी पहाड़ियों सुंदरता की, पेड़-पौधों से भरी घाटियों की, देवदार, चीड, सरो, चिनार, सफैदा, कैलसे भरे जंगलों की प्रशंसा की है।
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पृष्ठ संख्या : 16
भाषा की बात
1. अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदहारण
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकाल कर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर :
1. सचमुच मुझे दादी माँ शाप भ्रष्ट देवी-सी लगी।
2. बच्चे ऐसे सुंदर जैसे सोने के सजीव खिलौने।
3. हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे। बड़े आँवले जैसे।
4. काली चीटियों-सी कतारें धूमिल हो रही हैं।
5. संध्या को स्वप्न की भाँति गुजार देते थे।
2. निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखकने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूँढि़ए ।
उत्तर :
1. संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
2. कितना सौभाग्यशाली है वह समुद्र जिसे पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला।
3. बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बन कर ये कैसे खेला करती हैं।
4. हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में कुछ झिझक नहीं होती थी।
3. पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं।
नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए –
विशेषण | विशेष्य |
---|---|
संभ्रांत | वर्षा |
चंचल | जंगल |
समतल | महिला |
घना | नदियाँ |
मूसलधार | आँगन |
उत्तर :
विशेषण | विशेष्य |
---|---|
संभ्रांत | महिला |
चंचल | नदियाँ |
समतल | आँगन |
घना | जंगल |
मूसलधार | वर्षा |
4. द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है जैसे – राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठमें कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोगकिया गया है। इन्हें खोज कर वर्ण माला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर :
छोटी-बड़ी
दुबली-पतली
भाव-भंगी
माँ-बाप
5. नदी को उलटा लिखने से दीनहोता है जिसका अर्थहोता है गरीब। आपभी पाँचऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्दके आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे – नदी – दीन (भाववाचक संज्ञा)
उत्तर :
धारा – राधा (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
नव – वन (जातिवाचक संज्ञा)
राम – मरा (भाववाचक संज्ञा)
राही – हीरा (द्रव्यवाचक संज्ञा)
गल – लग (भाववाचक संज्ञा)
6. समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे – बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रावती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़ कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए –
उत्तर :
सतलुज — सतद्रुम
रोपड़ — रूपपुर
झेलम — वितस्ता
चिनाब — विपाशा
अजमेर — अजयमेरु
बनारस — वाराणसी
7. ‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आस के कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बन कर ये कैसे खेला करती हैं।’
उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं – उनके खयालमें शायद यह बात न आ सके।
इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :
‘ही’ वाले वाक्य जिनका प्रयोग नकारात्मक अर्थ देता है-
1. वे शायद ही इस कलम का इस्तेमाल करें।
2. बच्चे शायद ही स्कुल जाएँ।
3. वे शायद ही मेरी बात टालें।
‘नहीं’ वाले वाक्य जिन का प्रयोग नहीं के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं –
1. ऐसा कौन क्रिकेट फैन है जो सचिन तेंदुलकर को नहीँ जानता हो।
2. वृक्षसे होने वाले लाभको कौन नही जानता।
3. सच्चे दोस्तों का महत्व कौन नही जानता।