NCERT Solutions Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Page 126

Class 8 - हिंदी (भारत की खोज )
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NCERT Solutions Class 8 hindi bharat ki khoj
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Question 1. ‘आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जन संख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आजउसके पासऐसा कुछबचा है जिसे जानदारकहा जा सके?’ ये प्रश्नअध्यायदो के शुरूआती हिस्से से लिएगएहै। अब तक पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नों के क्या उत्तर हो सकते हैं? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।
Answer :
भारत एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस भू-भाग में बसे लोगों, उसकी संस्कृति, उसकी सभ्यता, उसके रीति-रिवाजों, उसके इतिहास का नाम भारत है, उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है।

भारत एक मात्र ऐसा देश है जिसने अतीत में अनेकों संस्कृतियों को बनते बिगड़ते देखा। अनेकों संस्कृति आई और यहाँ आकर या तो विलीन हो गई या नष्ट हो गई परन्तु इन सब में अपनी संस्कृति को न सिर्फ़ बचाए रखा अपितु उसे श्रेष्ठभी सिद्धकिया। इसी संस्कृति का प्रतिनिधित्व भी किया है। उसने कितने ही आक्रमणकारी देखें कितने ही शासनकाल देखें, गुलामी की बेड़ियाँ देखी। एक वक्त ऐसा भी आया जब उसने अपनी शक्ति को दूसरों के पैरों तले पाया पर उसने फिर उठकर अपने सम्मान को पाया अपनी धरोहर को खोने से बचा लिया।

आज बेशक वह एक बड़ी आबादी वाला देश हो परन्तु उसके पास आज भी उसकी बहुमूल्य विरासत है- उसकी संस्कृति, महापुरुषों के उच्चविचार, विविधता में एकता व धर्मनिरपेक्षता।


Question 2. आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?

Answer :
अपनी संकुचित मानसिकता के कारण भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में पिछड़ गया था । इन रूढ़ियों ने भारत की गतिशीलता पर दुष्प्रभाव डाला है। यद्यपि पुराने भारत पर नज़र डालें तो भारत में मानसिकता, सजगता और तकनीकी कौशल का अतुल भंडार था। यहाँ लोगों में रंचनात्मक प्रवृत्ति विद्यमान थी। लोगों ने प्रकृति और ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजने का प्रयास किया था जिसके उदाहरण हमारे इतिहास में भरे पड़े हैं परन्तु इन सब को भूल कर हमने अनुसरण प्रवृति अपना ली। इसका दुष्प्रभाव ही था कि हमने अपनी रचनात्मक प्रवृत्ति को खो दिया। जहाँ हमने ब्रह्मांड के रहस्य खोजे थे वहीं हम व्यर्थ के आडम्बरों में भ्रमित होकर अपने ज्ञान को धूमिल कर चुके थे। जहाँ राजाओं ने साहसिक कार्यों की लालसा और छलकती हुई जिंदगी के लिए सुदूर देशों तक भारतीय संस्कृति का प्रसार किया था वही हमारी संकीर्ण मानसिकता ने उस प्रसार पर रोक लगा दी थी। इन सब संकुचित विचारधाराओं ने भारत के विकास पथ को रोक दिया। भारत में व्याप्त निरक्षरता व समाजमें बढ़ते जाति-पाति ने भारत की गतिशीलता को छिन्न-भिन्न कर दिया । हमारी सोचके दायरों को अब धीरे-धीरे जैसे जंग लगने लगा था। हमारी वैज्ञानिक चेतना इन आडम्बरों, रूढ़ियों व संकीर्ण मानसिकता के नीचे दब कर रह गई। इसके विपरीत यूरोप भारत से जो कभी पिछड़ा हुआ था, अपनी वैज्ञानिक चेतना तथा बुलंद जीवन शक्ति और विकसित मानसिकता के कारण तकनीकी विकास में भारत से आगे निकल गया।

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Question 3. जवाहरलालनेहरू ने कहा, “यहबातदिलचस्पहै कि भारतअपनी कहानी की इसभोर-बेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है।” उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ में कहा है?

Answer :
नेहरू जी ने यह कथन सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में कहा है क्योंकि सिंधु घाटी जितनी विकसित सभ्यता का उल्लेख कम ही देखने को मिलता है। उनके अनुसार ये विकसित सभ्यता थी। उस विकास को पाने के लिए इस सभ्यता ने हज़ारों वर्षों का साथ लिया होगा। इस सभ्यता ने फ़ारसमेसोपोटामिया और मिश्र की सभ्यता से व्यापारिक सम्बन्ध कायम किए थे। इस सभ्यता में नागर सभ्यता बड़ी उत्तम थी। नेहरू जी के अनुसार आधुनिक भारत को छ: सात हज़ार साल पुरानी इस सभ्यता से जोड़ता है। इसलिए नेहरू जी ने इसे भारतीय सभ्यता की भोर-वेला कहा है जो एक छोटे बच्चे की तरह नहीं बल्कि आरम्भ से ही विकसित सयाने रूप में विद्यमान थी। इस सभ्यता ने सुंदर वस्तुओं का निर्माण ही नहीं किया बल्कि आधुनिक सभ्यता के लिए उपयोगी ज़्यादा ठेठ चिह्नों-अच्छे हमामों और नालियों के तंत्र का भी निर्माण किया था। जिसने आगे चल कर भवन निर्माण व जल निकासन प्रणाली का मार्ग प्रशस्त किया। ये भारत के लिए सिंधु सभ्यता व मोहन जोदड़ो के कारण ही संभव हो सका है।

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