NCERT Solutions Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

Class 9 - Hindi : Kshitiz
Chapter 9 - साखियाँ एवं सबद

NCERT Solutions Class 9 Hindi Kshitiz Textbook
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पृष्ठ संख्या : 93
प्रश्न अभ्यास 

साखियाँ

प्रश्न : 1. ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर :
मानसरोवर से कवि का अभिप्राय हृदय रूपी तालाब से है, जो हमारे मन में स्थित है।


प्रश्न : 2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ?

उत्तर :
कवि के अनुसार सच्चे प्रेमी की कसौटी यह है की उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं और सदभावनाएँ जाग्रत हो जाती है।


प्रश्न : 3. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञानको महत्त्व दिया है ?

उत्तर :
तीसरे दोहे में कवि ने अनुभव से प्राप्त ज्ञान को महत्त्व दिया है।


प्रश्न : 4. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है ?

उत्तर :
इस संसार में सच्चा संत वह है जो साम्प्रदायिक भेद-भाव, तर्क-वितर्क और वैर-विरोध के झगड़े में न पड़ कर निश्छल भाव से प्रभु की भक्ति में लीन रहता है।


प्रश्न : 5. अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है ?

उत्तर :
अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है:
क. अपने-अपने मत को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता।
ख. ऊंचे कुल के अहंकार में जीने की संकीर्णता।


प्रश्न : 6. किसी भी व्यक्ति की पहचान उस के कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्कसहित उत्तर दीजिये।

उत्तर :
किसी भी व्यक्ति की पहचान उस के कर्मों से होती है। आज तक हजारों राजा पैदा हुए और मर गए। परन्तु लोग जिन्हें जानते हैं, वे हैं – राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि। इन्हें इसलिए जाना गया क्योंकि ये केवल कुल से ऊँचे नहीं थे, बल्कि इन्होंने ऊँचें कर्म किए। इनके विपरीत कबीर, सूर, तुलसी बहुत सामान्य घरों से थे। इन्हें बचपन में ठोकरें भी कहानी पड़ीं। परन्तु फ़िर भी वे अपने श्रेष्ठ कर्मों के आधार पर संसार-भर में प्रसिद्ध हो गए। इसलिए हम कह सकते हैं कि महत्व ऊँचे कर्मों का होता है, कुल का नहीं।


प्रश्न : 7. काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
हस्ती चढ़िये ज्ञान कौ, सहजदुलीचा डारि।
स्वानरूप संसार है, भूँकन दे झखमारि।

उत्तर :
प्रस्तुत दोहे में कबीर दास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है। यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। दोहा छंद का प्रयोग किया गया है। यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। यहाँ शास्त्रीय ज्ञान का विरोध  किया गया है तथा सहज ज्ञान को महत् वदिया गया है।


सबद

प्रश्न : 8. मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है ?

उत्तर :
मनुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर),  मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूँढता फिरता है।


प्रश्न : 9. कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है ?

उत्तर :
कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिरमें है, न मसजिद में; न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थयात्रा में; वह न कर् मकरने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब उपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है।


प्रश्न : 10. कबीर ने ईश्वर को सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है?

उत्तर :
‘सब स्वाँसों की स्वाँस में’ से कवि का तात्पर्य यह  है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं, सभी मनुष्यों के अंदर हैं। जब तक मनुष् की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं।


प्रश्न : 11. कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की ?

उत्तर :
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से की है क्योंकि सामान्य हवा में स्थिति परिवर्तन की क्षमता नहीं होती है। परन्तु हवा तीव्र गति से आँधी के रुप में जब चलती है तो स्थिति बदल जाती है। आँधी में वो क्षमता होती है कि वो सब कुछ उड़ा सके। ज्ञान में भी प्रबल शाक्ति होती है जिससे वह मनुष्य के अंदर व्याप्त अज्ञानता के अंधकार को दूर कर देती है।


प्रश्न : 12. ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर :
ज्ञान की आँधी का मनुष्य के जीवन पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसके सारी शंकाए और अज्ञानता का नाश हो जाता है। वह मोह के सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। मन पवित्र तथा निश्छल होकर प्रभु भक्ति में तल्लीन हो जाता है।

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प्रश्न : 13. भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोहबलिंडा तूटा।
(ख) आँधी पीछै जो जलबूठा, प्रेमहरि जनभींनाँ।

उत्तर :
(क) यहाँ ज्ञान की आँधी के कारण मनुष्य के मन पड़े प्रभाव के फलस्वरूप मनुष्य के स्वार्थरूपी दोनों खंभे टूट गए तथा मोह रूपी बल्ली भी गिर गई। इस से कामना रूपी छप्पर नीचे गिर गया। उसके मन की बुराईयाँ नष् टहो गई और उसका मन साफ़ हो गया।
(ख) ज्ञान रूपी आंधी के पश्चात भक्ति रूपी जल की वर्षा हुई जिसके प्रेम में हरी के सब भक्त भीग गए। अर्थात् ज्ञान की प्राप्ति के बाद मन शुद्ध हो जाता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न : 14. संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर :
कबीर ने अपने विचारों दवारा जन मानस की आँखों पर धर्मतथा संप्रदाय के नाम पर पड़े परदे को खोलने का प्रयास किया है। उन्होंने हिंदु- मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे मूर्ति पूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं। कबीर ने हर एक मनुष्य को किसी एक मत, संप्रदाय, धर् मआदि में न पड़ने की सलाह दी है। ये सारी चीजें मनुष्य को राह से भटकाने तथा बँटवारे की और ले जाती है अत: कबीर के अनुसार हमें इन सब चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए। मनुष्य को चाहिए की वह निष्काम तथा निश्छल भाव से प्रभु की आराधना करें।

भाषा अध्यन

प्रश्न : 15. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए –
पखा पखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख

उत्तर :
1. पखापखी – पक्ष-विपक्ष
2. अनत – अन्यत्र
3. जोग – योग
4. जुगति – युक्ति
5. बैराग – वैराग्य
6. निरपख – निष्पक्ष

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