NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

Class 9 - Hindi : Sparsh
Chapter 14 - अग्नि पथ

NCERT Solutions Class 9 Hindi sparsh Textbook
Top Block 1
पृष्ठ संख्या :119
प्रश्न अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −


प्रश्न : (क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

उत्तर :
कवि ने ‘अग्नि पथ’ का प्रयोग मानव जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक स्वरूप किया है। यह जीवन संघर्षमय है फिर भी इस पर सबको चलना ही पड़ता है और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कवि का मानना है कि यह जीवन कठिनाइयों, चुनौतियों और संकटों से भरा है।


प्रश्न : (ख) ‘माँगमत’, ‘करशपथ’, इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर :
कवि ने इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर के जीवन की कठिनाइयों को सहते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कवि का कहना है कि इस मुश्किल भरे रास्ते से घबरा कर रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, घबरा कर हार नहीं माननी चाहिए। इसी प्रेरणा को देने के लिएकवि ने इस शब्द का बार-बार प्रयोग किया है।


प्रश्न : (ग) ‘एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
‘एक पत्र छाह भी माँग मत’ − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न कर के धन्य मानना चाहिए।

Mddle block 1

प्रश्न : 2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए−

(क) तू न थमेगा कभीतू न मुड़ेगा कभी

उत्तर :
इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहना चाहता है की जीवन कष्टों से भरा पड़ा है परन्तु व्यक्ति को इन कष्टों से जूझ कर सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्हें थक हार कर बीच में रुकना नही चाहिए।


प्रश्न : (ख) चल रहा मनुष् यहै
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ,लथपथ

उत्तर :
कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने मनुष्य को आगे चलते रहने की प्रेरणा दी है क्योंकि संघर्षमय जीवन में कई बार व्यक्ति को आँसू भी बहाने पड़ते हैं, थकने पर पसीने से तर भी हो जाता है। इससे शक्ति भी क्षीण हो जाती है परन्तु मनुष्य को किसी भी स्थिति में घबरा कर अपने लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए, लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए।


प्रश्न : 3. इस कविता का मूल भाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
इस कविता का मूल भाव है कि जीवन संघर्षों से भरा रहता है। इसमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हर पल, हर पग पर चुनौतियाँ मिलती हैं परन्तु इन्हें स्वीकार करना चाहिए, इनसे घबरा कर पीछे नहीं हटना चाहिए, ना ही मुड़ कर देखना या किसी का सहारा लेना चाहिए। संकटों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। बिना थके, बिना रूके, बिना हार माने इस जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

Bottom Block 3
Share with your friends

Leave a Reply