NCERT Solutions Class 6 Hindi Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

Class 6 - हिंदी वसंत
Chapter 11 - जो देखकर भी नहीं देखते

NCERT Solutions Class 6 Hindi Vasant Textbook
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NCERT Solutions Class 6 Hindi Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

प्रश्न अभ्यास

पृष्ठ संख्या : 104

निबंध से

1. ‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’ – हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था ?

उत्तर :

लोगों के पास जो चीज़ उपलब्ध होती है, उसका उपयोग वे नहीं करते इसलिए हेलेन केलर को ऐसा लगता है कि जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं ।

2. ‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है ?

उत्तर :

प्रकृति के सौंदर्य और उनमें होने वाले दिन-प्रतिदिन बदलाव को ‘प्रकृति का जादू’ कहा गया है ।

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3. ‘कुछ खास तो नहीं’- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों हुआ ?

उत्तर :

एक बार हेलेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घूमने गई थी । जब वह वापस लौटी तो हेलेन केलर ने उस से जंगल के बारे में जानना चाहा तब उन की मित्र ने जवाब दिया कि ‘कुछ खास तो नहीं’ ।  यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य इसलिए हुआ क्यों कि लोग आँखें होने के बाद भी कुछ नहीं देख पाते किन्तु वे तो आँखें न होने के बावजूद भी प्रकृति की बहुत सारी चीज़ों को केवल स्पर्श से ही महसूस कर लेती हैं ।


4. हेलेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं ? पाठ पढ़ कर इस का उत्तर लिखो ।

उत्तर :

हेलन केलर भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी । वसंत के दौरान वे टहनियों में नयी कलियाँ, फूलों की पंखुडियों की मखमली सतह और उनकी घुमाव दार बनावट को भी वे छूकर पहचान लेती थीं । चिडिया के मधुर स्वर को वे सुन कर जान लेती थीं ।


5. ‘जब कि इस नियामत से ज़िंदगी को खुशियों के इन्द्रधनुषी रंगों से हरा-भरा जा सकता है ।’ – तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है ?

उत्तर :

इन पंक्तियों में हेलेन केलर ने जिंदगी में आँखों के महत्व को बताया है । वह कहती हैं की आँखों के सहयोग से हम अपने जिंदगी को खुशियों के रंग-बिरंगे रंगों से रंग सकते हैं ।
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निबंध से आगे

1. कान से न सुनने पर आसपास की दुनिया कैसी लगती होगी ? इस पर टिप्पणी लिखो और साथियों के साथ विचार करो ।

उत्तर :

कान से न सुनने पर आसपास की दुनिया एक दम शांत लगती होगी । हम दूसरों की बातों को सुन नहीं पाते । केवल चीज़ों को देख कर हम उन्हें समझने का प्रयास कर सकते हैं ।

2. कई चीज़ों को छूकर ही पता चलता है, जैसे – कपड़े की चिकनाहट या खुरदरापन, पत्तियों की नसों का उभार आदि । ऐसी और चीज़ों की सूची तैयार करो जिनको छूने से उनकी खासियत का पता चलता है ।

उत्तर :

चाय की गर्माहट, बर्फ़ की ठंडक, घास की नरमी, कपडे का गीलापन

3. हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्य़ादा करते हैं । ऐसी चीज़ों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो –
सुनना, चखना, सूँघना, छूना।

उत्तर :

सुनना – संगीत सुनना, पक्षियों की चहचाहट, पशुओं की आवाज़
चखना- तीखापन, मिठास, नमकीन
सूँघना- फूल, इत्र का सुगंध, कीचड़ का दुर्गन्ध,
छूना- गर्म, नरम, ठंडा, मुलायम

पृष्ठ संख्या : 106

भाषा की बात

1. पाठ में स्पर्श से संबंधित कई शब्द आए हैं । नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं । बताओ कि किन चीज़ों का स्पर्श ऐसा होता है –
चिकना, चिपचिपा, मुलायम, खुरदरा, लिजलिजा, ऊबड़-खाबड़, सख्त, भुरभुरा।

उत्तर :

चिकना – कपडा
चिपचिपा – गोंद
मुलायम – रुई
खुरदरा – घड़ा
लिजलिजा – शहद
ऊबड़-खाबड़ – सड़क
सख्त – पत्थर
भुरभुरा – गुड़

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2. अगर मुझे इन चीज़ों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकीसुंदरतादेख कर तो मेरा मनमुग्ध ही हो जाएगा ।

रेखांकित संज्ञाएँ क्रमश : किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं । ऐसी संज्ञाएँ भाव वाचक कहलाती हैं । गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है । भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इस से जुड़े शब्दों को हम सिर्फ़ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते । नीचे लिखी भाव वाचक संज्ञाओं को पढ़ों और समझो । इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं । उन्हें भी पहचान कर लिखो –

मिठास, भूख, शांति, भोलापन, बुढ़ापा, घबराहट, बहाव, फुर्ती, ताजगी, क्रोध, मज़दूरी।

उत्तर :

क्रिया से बनी भाववाचक संज्ञा – घबराना से घबराहट, बहाना से बहाव
विशेषण से बनी भाववाचक संज्ञा – बूढ़ा से बुढ़ापा, ताजा से ताजगी, भूखा से भूख, शांत से शान्ति, मीठा से मिठास, भोला से भोलापन
जातिवाचक संज्ञा से बनी भाववाचक संज्ञा – मजदुर से मजदूरी
भाववाचक संज्ञा – क्रोध और फुर्ती शब्द भाववाचक संज्ञा शब्द है ।

3. मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ ।
उस बगीचे में अमलतास, सेमल, कजरी आदि तरह-तरह के पेड़ थे ।
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं । नीचे ऐसे कुछ और सम रूपी शब्द दिए गए हैं । वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो –
अवधि – अवधी, में – मैं, मेल – मैला, ओर – और, दिन – दीन, सिल – सील।

उत्तर :

अवधि – यह पैसा दो महीने की अवधि में लौटना है ।
अवधी – कवि तुलसीदास ने अवधी भाषा में कई ग्रन्थ लिखें हैं ।
में – चाय में चीनी डाल दो ।
मैं – मैं तुम से दुःखी हूँ ।
मेल – दोनों भाइयों में कोई मेल नही है ।
मैला – यह कपड़ा मैला हो गया है ।
ओर – उसकी ओर इशारा मत करो ।
और – मुझे कलम और कागज़ दो ।
दिन – राम चार दिनों से काम से गायब है
दीन – रामू बहुत दीन है ।
सिल – सिल पर पिसे मसालों को लाओ ।
सील – इस बोतल की सील तोड़ो ।
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