NCERT Solutions Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Page 129

Class 8 - हिंदी (भारत की खोज )
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NCERT Solutions Class 8 hindi bharat ki khoj
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Question 19. बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे- (क) अभिधा (ख) लक्षणा (ग) व्यंजना बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है? “यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता…. बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।”

Answer :
नेहरू जी का यह वाक्य व्यंजना शैली का उदाहरण है। यहाँ पर नेहरू जी ने सीधे प्रहार न कर प्रतीक के रूप पर अंग्रेज़ी सरकार व भारतीय जनता पर प्रहार किया है। जिसके फलस्वरूप वह आरोप को सीधे न लगाकर घुमाकर अपनी बात को कह रहे हैं। जब व्यंजना शैली में लिखते हैं तो कोशिश करते हैं हम विवादों में ना फँसे और अपनी बात भी भली प्रकार से कह जाएँ। यही इस शैली का गुण है। यहाँ नेहरु जी भारत का विकास न कर पाने का वर्णन भी करते हैं। व्यंजना में लिखते हुए हम उस बात के लिए प्रतीक गढ़ते हैं, जैसे- पशु, टयूब लाईट, या कोई अन्य वस्तु आदि और लिखते इस प्रकार हैं कि मानो पढ़ने वालो को उस बात की ओर इशारा किया जा रहा है। इसके विपरीत शाब्दिक विधा में व्यक्तियों के बारे में सीधा लिख दिया जाता है। लक्षणित जैसा नाम है व्यक्ति के लक्षणों के बारे में बताने वाले पात्र गढ़ लेते हैं। मुख्यत: व्यंजना को समझाना थोड़ा मुश्किल होता है पर यदि समझ लिया जाए तो इसे पढ़ने वाले को बहुत ही आनंद आता है। हिंदी में व्यंजना को ही दोनों विधा से श्रेष्ठ माना जाता है। नेहरू जी ने इसी विधा का प्रयोग किया है।


Question 20. “नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीणज नता की ओरले गईं। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुद्धिजीवियों के सामने आया…” आपके विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस ‘नयी ताकत’ की ओर इशारा करर ही हैं? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया?

Answer :
आज़ादी की लड़ाई में कही गईये बातें ताकत के रूप में उभरते नए बुद्धिजीवी वर्ग के लिए थीं। ये वर्ग शिक्षि तथा, इसमें नए और सक्रिय विचारों को समझने की शक्ति थी और इन्हीं वर्ग के कारण आधुनिक चेतना का प्रसार हुआ। इन्होंने आज़ादी के मूल्यों को पहचाना और आम जनता को उसके अधिकारों के प्रति जागृत किया। इस ताकत के सबसे बड़े महा नायक थे- महात्मा गाँधी। वे महानायक भारत की उस हीन दशा में ताज़ा हवा के ऐसे झोंके की तरह आए जिसने हमें फैलकर गहरी साँस लेने योग्य बनाया। वे अवतरित नहीं हुए अपितु भारत की करोड़ों की आबादी के बीच से निकल कर आए थे। उन्होंने अंग्रेज़ों के व्यापक दमन, दम घोंटू शासन, जमींदारों व साहूकार के अत्याचारों से, बेकारी और भुखमरी के भय से हमें बाहर निकाला और इन सबके विरूद्ध खड़ा होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गरीबी और भूख से लिपटी ग्रामीण जनता को चेताया, अपने साथियों को दूर-दूरगाँवो में भेजा, अपने ओजपूर्ण भाषणों से उनके अंदर दबी हुई ज्वाला को जगाया और इस तरह उन्होंने देश के हर हिस्से में स्वतंत्रता के लिए एक नई सेना खड़ी की जो इतनी शक्तिशाली सेना के रूप में उनके नेतृत्व के रूपमें खड़ी हुई कि अंग्रेज़ों को भारत छोड़ना ही पड़ा। यह वह महात्मा गाँधी थे जिन्होंने अपने अथक प्रयास से भारत के एक-एक नागरिक को स्वतंत्रता का सिपाही बना दिया।


Question 21. ‘भारत माता की जय’ − आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

Answer :
जब भी हम इस नारे का जय घोष करते हैं तो हम सदैव भारत भूमि की जय की बात करते हैं क्योंकि इस भूमि में भारत की भौगोलिक स्थिति- उसकी धरती, नदी, पहाड़, समुद्र, मैदान की ही नहीं अपितु भारत के लोगों व संस्कृति को भी अभिन्न अंग के रूप में जोड़ा गया है और तब उन सबसे मिलकर बने ‘भारत’ को माँ के रूपमें जयघोष करते हैं। इस कथन को नेहरू जी ने अपना समर्थन दिया है। उनके अनुसार भारत की मिट्टी, एकगाँव, एक जिले और एक राज्य की नहीं अपितु तमाम टुकड़ों या फिर पूरे भारत की मिट्टी से है। इसके अलावा भारत के पहाड़, नदियाँ, जंगल फैले हुए खेत जो हमारा भरण-पोषण करते हैं, वे भी सम्मिलित हैं। पर इन सब चीज़ों से अधिक महत्वपूर्ण भारत की जनता है जो इस विशाल भूखंड के चारों ओर फैले हुए हैं और यही इस भारत माता का मूलरूप है इसलिएह में इन सबकी जय बोलनी चाहिए।


Question 22. (क) भारत पर प्राचीनकाल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होता रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा।

(ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है?


Answer : (क)
1 1000 ई महमूद गजनवी
2 1191 ई. शहबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी)
3 1400 ई. तैमूर (तुर्क-मंगोल)
4 1526 ई. बाबर (मुग़ल साम्राज्य की नींव, पहला शासन)
5 नादिर शाह
6 1700 ई. से 1946 ई. अंग्रेज़


(ख) अंग्रेज़ी राज्य अन्य पहले आक्रमणकारियों से बिल्कुल विपरीत था। पहले के आक्रमणकारी भारत की अतुल धन संपदा को लूट कर ले जाते थे। भारतमें रहने का उनका कोई मुख्य उद्देश्य नहीं था। बस मुगल साम्राज्य को छोड़कर अधिकतर ने भारत की अतुल संपदा को लूटा है और यहाँ की सभ्यता का नाश करने का प्रयास किया है। परन्तु अंग्रेज़ी सरकार इसे अपने उपनिवेश के रूप में रखना चाहती थी और उसने किया भी। वे यहाँ पर खून-खराबा करना नहीं चाहते थे। वे भारत को अपना गुलाम बना कर कच्चा माल पाने के लिए उपनिवेश के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे। दम न तो उन्होंने भी किया पर वह सिर्फ़ विद्रोह होने पर इसका सहारा लेते। उन्होंने आरंभ में अपने पैर शांतिपूर्वक जमाए। व्यापार के माध्यम से भारत में दाखिल हुए और धीरे-धीरे अपनी प्रभुता कायम की। यहाँ उन्होंने युद्धों या आक्रमणों के स्थान पर अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और पूरे भारत पर कब्ज़ा कर लिया।


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Question 23. (क) अंग्रेज़ी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी। क्यों?

(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेज़ी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत काम करना पड़ा। क्यों?


Answer :
(क) अंग्रेज़ी सरकार को भारत में शिक्षा का प्रसार करना उचित नहीं लगता था। इसका मुख्य कारण यह था कि अंग्रेज़ी सरकार भली-भाँति जानती थी, शिक्षा मनुष्य के विकास के सारे रास्तों को खोल देती है, उसको विकास के रास्ते देती है और यह मजबूती वे भारतीय समाज में नहीं आने देना चाहते थे। भारत में शिक्षा के अभाव के कारणज़्यादातरज नता अशिक्षित थी। जिसके कारण उनका समुचित विकास नहीं हो पाया। वे उन्हीं पुराने रूढ़ियों, रीतियों में उलझे हुए थे और अंग्रेज़ी शासन के लिए यह उचित था। यदि लोग शिक्षित हो जाते तो उनमें जागृति उत्पन्न हो जाती। वे अपने अधिकारों के लिए सचेष्ट हो जाते जो अंग्रेज़ी शासन के लिए एक बड़े खतरे से कम नहीं था।

(ख) अंग्रेज़ों ने, शिक्षा का प्रसार न करने के हिमायती होते हुएभी, भारत में शिक्षा का थोड़ा बहुत प्रसार किया। इसमें भी उनका ही स्वार्थहित था। भारतमें पैरपसारने के साथ-साथ अपनी बढ़ती व्यवस्था के लिए उन्हें बड़ी संख्या में क्लर्कों को प्रशिक्षित कर के तैयार करने का प्रबन्ध करना पड़ा और इन्हीं परिस्थितियों वश भारत में शिक्षा का प्रसार करना पड़ा। बेशक यह शिक्षा सीमित थी व परिपूर्ण नहीं थी, फिर भी उसने नए और सक्रिय विचारों की दिशा में भारतीयों के दिमाग की खिड़कियाँ और दरवाज़े खोल दिए जिससे भारतीय समाज में परिवर्तन होने लगा और आधुनिक चेतना का प्रसार हुआ।



Question 24. ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि-“नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था” क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढ़ाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है? कैसे?
Answer :
इस नए पूँजीवाद ने भारतीय समाज के पूरे आर्थिक और संरचनात्मक आधार का विघटन कर दिया। यह ऐसी व्यवस्था थी जिसका संचालन होता तो बाहर से था, पर इसको भारत पर लाद दिया गया था। भारत ब्रिटिश ढ़ाँचे का औपनिवेशिक और खेतिहर पुछल्ला मात्र रह गया था। बिल्कुल हमारे आर्थिक ढाँचे पर पूँजीवाद का प्रभाव पड़ सकता है। स्थानीय उघोग-धंधे बरबाद हो रहे हैं। भारत की पूँजी बाहर जा रही है। आज भारत का पूरा बाज़ार विदेशी उत्पादनों से भरा हुआ है और हमारा सारा धन पूँजीपतियों के हाथों में जा रहा है।

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