NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल

Class 9 - Hindi : Sparsh
Chapter 1 - धूल

NCERT Solutions Class 9 Hindi sparsh Textbook
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पृष्ठ संख्या : 10
प्रश्न अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक – दो पंक्तियों में दीजिए−


प्रश्न : 1. हीरे के प्रेमी उसे किस रुप में पसंद करते हैं?

उत्तर :
हीरे के प्रेमी उसे साफ़ सुथरा, खरादा  हुआ, आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना पसंद करते हैं।


प्रश्न : 2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?

उत्तर :
लेखक ने संसार में अखाड़े की मिट्टी में लेटने,  मलने के सुख को दुर्लभ माना है क्योंकि यह मिट्टी तेल और मट्ठे से सिझाई जाती है। इससे देवता पर भी चढ़ाया जाता है।


प्रश्न : 3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किस से होती है?

उत्तर :
मिटटी की आभा धूल है। मिटटी की पहचान उस के धूल से होती है।

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−


प्रश्न : 1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?

उत्तर :
धूल का जीवन में बहुत महत्व है। कोई भी शिशु धूल से सन कर विविध खेल खेलता है। यह धूल जब शिशु के मुख पर पड़ती है तो उसकी स्वाभाविक सुंदरता निखर जाती है।। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।


प्रश्न : 2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

उत्तर :
हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है क्योंकि धूल के प्रति उन में हीनभावना है। वे इसे सुंदरता के लिए खतरा मानते हैं। इस धूल से बचने के लिए ऊँचे-ऊँचे इमारतों में रहते हैं ताकि वे धूल से बचें रहें। वे कृत्रिम चीज़ों को पसंद करते हैं, कल्पना में विचरते रहना चाहते हैं, वास्तविकता से दूर रहते हैं। वह हीरों का प्रेमी है धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानते।


प्रश्न : 3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?

उत्तर :
अखाड़े की मिट्टी साधारण मिट्टी से भिन् नहै । इसे तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। इसे देवता पर चढ़ाया जाता है। पहलवान को अखाड़े की मिट्टी ही विश्व विजयी बनाती है।


प्रश्न : 4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?

उत्तर :
श्रद्धा विश्वास का, भक्ति ह्रदय की भावनाओं का और स्नेह प्यार के बंधन का प्रतीक है। व्यक्ति धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते है, योद्धा धूल को आखों से लगा कर उसके प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं। हमारा शरीर भी मिट्टी से बना है। इस प्रकार धूल अपने देश के प्रति श्रद्धा, भक्ति, स्नेह, की व्यंजना के लिये धूल सर्वोत्तम साधनहै।


प्रश्न : 5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर :
नगरीय सभ्यता में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता पर ज़ोर रहता है। वे धूल से बचना चाहते हैं, उससे दूर रहना चाहते हैं। उन्हें काँच के हीरे अच्छे लगते हैं। वे वास्तविकता से दूर रह कर बनावटी जीवन जीते हैं। इस तरह लेखक ने धूल पाठ में नगरीय सभ्यता पर व्यंग् यकिया है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में)  लिखिए−


प्रश्न : 1. लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?

उत्तर :
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि वह उस की सहज पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते। धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है।


प्रश्न : 2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?

उत्तर :
धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चांदनी में। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।


प्रश्न : 3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूलके कौन – कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?

उत्तर :
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है। शिशु के मुख पर धूल फूल की पंखुड़ियों के समान सुंदर लगती है । उसकी सुंदरता को निखारती है। सांयकाल गोधूलि के उड़ने की सुंदरता का चित्र ग्रामीण परिवेश में प्रस्तुत करती है जो कि शहरों के हिस्से नहीं पड़ती ।


प्रश्न : 4. “हीरा वही घन चोट न टूटे”- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
“हीरा वही घन चोट न टूटे” –  का अर्थ है असली हीरा वही है जो हथोड़े की चोट से भी नटूटे और अटूटहोने का प्रमाण दे। इसी तरह ग्रामीण लोग हीरे के समान होते हैं मजबूत और सुदृढ़ । वे कठिनाइयों से नहीं घबराते।


प्रश्न : 5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
धूल यथार्थवादी गद्य है तो धूलि उसकी कविता। धूली छायावादी दर्शन है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। गोधूलि गायों एवं ग्वालों के पैरों से सायंकाल में उड़ने वाली धूलि है जो गाँव के जीवन की अपनी संपत्ति है।


प्रश्न : 6. “धूल” पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
लेखक ने पाठ “धूल” में धूल का महत्त्व स्पष्ट किया है कि धूल से ही हमारा शरीर बना है परंतु आज का नगरीय जीवन इससे दूर रहना चाहता है जबकि ग्रामीण सभ्यता का वास्तविक सौंदर्य “धूल”  ही है।


प्रश्न : 7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?

उत्तर :
लेखक से पुस्तक विक्रेता के निमंत्रण पत्र में गोधूलि वेला में आने का आग्रह किया गया तो उसने इसे कविता की विडंबना माना क्योंकि कवियों ने गोधूलि की महिमा बताई है परन्तु यह गोधूलि गायों ग्वालों के पैरो से उड़ती ग्राम की धूलि थी शहरी लोग इस की सुंदरता और महत्ता को कहाँ समझ पाते हैं। इसका अनुभव तो गाँव में रह कर ही किया जा सकता है। यहाँ तक कि कविता के पास भी इसके महत्व के बयान की क्षमता नहीं होती।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए−


प्रश्न : 1. फूल के ऊपर जो रेणु उस का श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।

उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ से ली गयी हैं जिसके लेखक रामविलास शर्मा जी हैं। इस कथन का आशय यह है कि जिस तरह फूल के ऊपर धूल आ जाने से वह उसकी साजो सज्जा को बढाती है उसी प्रकार शिशु के मुख पर धूल उसकी सुंदरता को ओर भी निखार देती है।


प्रश्न : 2. ‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकानकी’ − लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर :
यहाँ लेखक बता रहे हैं की वह नर धन्यवाद के पात्र हैं जो धूरि भरे शिशुओं को गोद में उठा कर गले से लगा लेते हैं । बच्चों के साथ उनका शरीर भी धूल से सन जाता है। लेखक को ‘मैले’ शब्द में हीनता का बोध होता है क्योंकि वह धूल को मैल नहीं मानते। ‘ऐसे लरिकान’ में भेद बुद्धी नज़र आती है।


प्रश्न : 3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।

उत्तर :
लेखक मिट्टी और धूल में अंतर की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। जैसे चाँद के बिना चाँदनी नहीं होती, देह के बिना प्राण नहीं होते। यदि शब्द न हो तो लेख या कविता में रस कहाँ से आएगा। उसी तरह मिट्टी के रंग रुप की पहचान धूल से ही होती है।


प्रश्न : 4. हमारी देश भक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम – से – कम उस पर पैर तो रखे।

उत्तर :
लेखक का इस वाक्य से आशय है की जिस धूल को वीर योद्धा अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं, धूल मस्तक पर लगाते हैं, किसान धूल में ही सन कर काम करता है उस धूल से बचने की कोशिश की जाती है। नगरीय लोग इसे तुच्छ समझते हैं। चाहे वह देश की धूल को माथे से न भी लगाए परंतु उसकी वास्तविकता से परिचित हो।


प्रश्न : 5. वे उलट कर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।

उत्तर :
यहां कांच की तुलना नगरीय सभ्यता से तथा हीरे की तुलना ग्रामीण सभ्यता से की गयी है। हीरा बहुत मजबूत होता है और कांच एक चोट से टूट जाता है और बिखर कर दूसरों को भी चोट पहुँचाता है। हीरा हथौड़े की चोट से भी नहीं टूटता ये बात दोनों के परीक्षण के बाद ही पता लगती है। हीरा काँच को काटता है। उसी तरह ग्रामीण, हीरे की तरह मजबूत और सुदृढ़ होते हैं। वे उलट कर वार भी कर सकते हैं। समय का हथौड़ा इस सच्चाई को सामने लाता है।

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भाषा अध्ययन

प्रश्न : 1. निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिए-
उदाहरण:  विज्ञपित− वि (उपसर्ग)  ज्ञापित
संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्द्वंद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।

उत्तर :
उदाहरण: विज्ञपित− वि (उपसर्ग) ज्ञापित

उपसर्ग शब्द
1 संसर्ग सम सर्ग
2 उपमान उप मान
3 संस्कृति सम् स्कृति
4 दुर्लभ दुर् लभ
5 निर्द्वंद निर् द्वंद
6 प्रवास प्र वास
7 दुर्भाग्य दुर् भाग्य
8 अभिजात अभि जात
9 संचालन सम् चालन

प्रश्न : 2.  लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं।धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर :
1. धूल चटाना − भारतीय सेना ने दुश्मन सेना को धूल चटा दी।
2. धूल फाँकना − वह बाजार में सारा दिन धूल फाँकता रहा ।
3. धूल उड़ाना − उसकी सारी मेहनत धूल में उड़ गई।
4. धूल में मिलना − उन लोगों ने बहुत मेहनत से सजावट की पर एक आँधी के झोंके से सब धूल में मिल गया।
5. धूल धुसरित− धूल धुसरित बालक सुंदर लगता है।

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